आध्यात्मिक

जीवन की सबसे बड़ी सफलता और सबसे बड़ी उपलब्धि गुरुदेव जी की विचारधारा का स्वयं पालन करना और दूसरों को भी पालन करने के लिये सदैव प्रेरित करते रहना होना चाहिये: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। हम सफलता का मतलब ये समझते हैँ कि हमने बड़ा घर ले लिया ,बड़ी गाड़ी खरीद लिया ,बड़ा व्यवसाय बना लिया ,बड़ी नौकरी हासिल कर लिया आदि तो हम सफल हो गये, जबकि इसे हम सफलता और उपलब्धि ना कहकर भौतिक संसाधनों की प्राप्ति कह सकते हैं। वास्तविक सफलता के मायने कुछ और ही हैं। देखिये इसे थोड़ा विस्तार से हमें समझना होगा। जब आप स्वयं के लिये कुछ प्राप्त करते हैं तो इसे स्वार्थ पूर्ति कहा जाएगा,जबकि यही कार्य जब आप दूसरों के लिये करने लग जायेंगे तो इसे परमार्थ कहा जाएगा।

परमार्थ करना भी सफलता और उपलब्धि की श्रेणी में रखा जा सकता है। देखिये सफलता की वास्तविक परिभाषा हमारे लिये गुरुदेव जी की विचारधारा का पूर्णतः पालन करना होना चाहिये। जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि उसे कहा जा सकता है जिसमें दूसरों का कल्याण निहित हो। जब हम गुरुदेव जी की विचारधारा का पालन करने लगते हैं तो समाज के लोगों का कल्याण शुरू हो जाता है।

जब हम माँ दुर्गा जी की आरती और चालीसा पाठ कराते हैं तो उस घर में माँ का आशीर्वाद और कृपा आती है। जब लोग गुरुदेव जी के संगठन से जुड़कर नशा मुक्त ,मांसाहार मुक्त और चरित्र वान जीवन जीने लगते हैं तो स्वयं के जीवन में और दूसरों के जीवन में परिवर्तन होने लगता है। जब हम दूसरों के जीवन में गुरुदेव जी की विचारधारा के माध्यम से परिवर्तन डालना शुरू कर देते हैं तो इसे हमारी उपलब्धि कहा जाएगा। आपने हजारों लोगों को नशा मुक्त करा दिया ,ये आपके जीवन की सफलता कहलायी जाएगी। दरअसल सफलता के मायने लोग भूलते जा रहे हैँ। लोगों को वीरवार का व्रत शुरू करा दीजिये।

महाआरती में ले जाने लग जाइये, शिविर में ले जाइये। इसे आपके जीवन की उपलब्धि मानी जाएगी। आप ऐसा करके अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। लाखों लोग इस कार्य को करके अपने जीवन में शांति का समावेश कर रहे हैँ। आप और हम भी इन पुनीत कार्योँ को भली भाँति सम्पन्न कर सकते हैं। अपने जिले की महा आरती में स्वयं भी जाईये और दूसरों को भी साथ ले जाइये। शिविर में आप जरूर नये व्यक्तियों को लेकर जाइये। लोगों को गुरुदेव जी द्वारा प्रदत्त मार्गों से अवगत कराइये।

धीरे-धीरे लोगों के जीवन में अप्रत्याशित परिवर्तन आना प्रारम्भ हो जाएगा। जब लोग सुख और शांति से जीवन जीने लगें तो आप समझिये की आपको सफलता की प्राप्त हो रही है। अधिकाँश लोग स्वार्थ पूर्ति के लिये ही जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में हमें दूसरों के कल्याण के लिये कार्य करना होगा। जब हम दूसरों के जीवन में परिवर्तन डालना शुरू करेंगे तो माँ गुरुवर हमें अपनी कृपा से कभी भी वंचित नही रखेंगे। जीवन अनमोल है अतः इसे व्यर्थ के कार्योँ में मत गवाँइय। गुरुदेव जी की विचारधारा का पालन करना और कराना ही हम सभी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसकी शुरुआत आज और अभी से हमें प्रारम्भ कर देना चाहिये।

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