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भ्रष्टाचार?? सरपंच का परिवार मजदूर,मिस्त्री बन निकाल रहे मनरेगा मजदूरी की राशि,लगा रहे लाखों की चपत

गढ़ाकोटा। रहली विधानसभा क्षेत्र कि जनपद पंचायत रहली अंतर्गत पंचायत में भ्रष्टाचार के मामला सुर्खियों में हैं रहली जनपद पंचायत घटिया कार्यप्रणाली से बाज नहीं आ रही तो वहीं भ्रष्टाचारी पंचायतें इस मामले में उससे दो कदम और आगे निकल गई इन पर लगाम कसने में तो अब बड़े बड़े अधिकारी भी नाकाम दिखाई दे रहे है।

क्योंकि देखने और सुनने में आया है की सरपंच पति की मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री से गहरे नजदीकी सम्बन्ध हैं मामला एक बार फिर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत हरदुआ से है जिसकी भ्रष्टाचारी की लिखित शिकायत वहां की उप सरपंच भी कर चुके हैं पंचायत की सरपंच तो एक तरफ, पति और भतीजा मिलकर पंचायत की विभिन्न मदो की राशि फर्जी बिल लगा लगा कर चूसने में लगे हैं। सरपंच पति पाच छः लोगो की उपस्थिति में मनमाने तरीके से औचित्त विहीन विकास कार्य स्वीकृत करते है। जिनमे मोटा कमीशन प्राप्त हो सके,जिसका निर्माण भी गुणवत्ता विहीन एवं अनुपयोगी है। कई निर्माण कार्यों की स्वीकृति दर्शाकर महीनों पहले राशि का आहरण करके लाखो रूपये की घटिया सामग्री क्रय कर ली जाती है।

पंचायत में कुछ ऐसे विकास कार्य है जो अपने आप को भ्रष्टाचारी और घटियापन से परिभाषित करते हैं।
डीपी से लेकर कृष्णा लहोडिया के घर तक बनने वाली सी सी सड़क में पंचायत ने निर्माण में धांधली की हदें ही पर कर दी। 213 मीटर की सी सी सड़क जिसकी लागत राशि 6 लाख 23 हजार स्वीकृत हुई थी उसमे से लगभग 100 मीटर की सड़क बनाई गई,जिसमे लगभग 4 लाख 30 हजार रुपए की राशि अब तक निकाल ली जा चुकी है। बाबडी निर्मल कूप की कुल खुदाई 15 फीट जिसकी कुल मजदूरी 972 रुपए निकाली गई और मैटेरियल का पैसा 2 लाख रुपए निकाला गया इससे साफ-साफ होता है की इससे बड़ी धांधली पंचायत में और क्या हो सकती है।

पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम चंनगुवा में कूप मरम्मत के लिए 2 लाख 9 हजार लागत रूपये स्वीकृत हुए। लेकिन पंचायत ने केवल 10 फीट गहराई और मन घटा बनाकर 2 लाख रुपए निकाल लिए इसमें भी साफ-साफ तौर पर धांधली देखी जा सकती है। आरोप है की सरपंच पति एवं भतीजे मनरेगा के आईडी पासवर्ड बिना पंचायत कर्मचारियों की जानकारी के चलाते है। बिना कोई कार्य किए ही परिवार के सदस्यो के नाम पर 100 दिवस की मजदूरी की राशि का आहरण किया जा रहा है।इसके अलावा कार्यों में लाखो रूपये की राशि निकाल ली गई जो जांच का विषय है।

15 जून से मनरेगा के कार्यो में खुदाई का कार्य बंद होने के बाद भी मजदूरी की राशि आज दिनांक तक निकाली जा रही है! मनरेगा के निर्माण में कोई भी मजदूर तालाब में कभी नही लगाये गये। ताज्जुब की बात तो यह है की मनरेगा के कार्यो की मॉनिटरिंग जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के द्वारा की जाती है।इसके बाबजूद भी इतना बड़ा फर्जीबड़ा हो गया।

अब सवाल उठता है क्या ये बिना अधिकारियों की सह से सफल हो सकता? कई बार देखने में आया है की मनरेगा मजदूर मोबाईल मॉनिटरिंग एप के माध्यम से मॉनिटरिंग प्रतिदिन होती है। जो सरपंच भतीजे अपने मोबाईल में चलाते है।और गलत तरीके से फोटो डाल कर मजदूरी निकाल रहे है। हर स्तर की मॉनिटरिंग के बाद भी कई लाख रूपये की राशि केवल एक तालाब कार्य में निकाल ली गई।

इस फर्जीबाड़े को सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचाने में कौन कौन हो सकते हैं शामिल!-
जनपद में बैठें अध्यक्ष/ अध्यक्ष प्रतिनिधि अन्य जनप्रतिनिधियों से लेकर जनपद के अधिकारी कर्मचारियो की मिली भगत शामिल हो सकती है? बिना मूल्यांकन मनरेगा के भुगतान जारी किये गये । क्या मनरेगा लेखा अधिकारी सीधे राशि ले दे कर सरपंच पति एवं भतीजे के साथ गवन में लिप्त है….? यह एक यक्ष प्रश्न है वैसे भी भ्रष्टाचार के मामले में जनपद रहली पहले ही मशहूर हो चुकी है??

(पुरुषोत्तम लाल पटेल रिपोर्टर गढ़ाकोटा)

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