महिला बाल विकास व थाना पुलिस ने संयुक्त कार्यवाही कर नाबालिक बालिका का विवाह होने से रोका

छतरपुर। बाल विवाह एक अभिशाप है, यह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है जिससे उनपर हिंसा, शोषण तथा यौन शोषण का खतरा बना रहता है। बाल विवाह लड़कियों और लड़कों दोनों पर असर डालता है, लेकिन इसका प्रभाव लड़कियों पर अधिक पड़ता है। किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह, बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर, बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता हैं।
थाना शाहगढ़ चौकी जटाशंकर धाम क्षेत्र में थाना शाहगढ़ पुलिस को नाबालिक बालिका के विवाह संबंधी सूचना प्राप्त हुई। विवाह कार्यक्रम में दुल्हन जो उम्र 17 वर्ष की थी, बालिका थाना सटई क्षेत्र व लड़का उम्र 24 साल जो थाना क्षेत्र राजनगर का निवासी था, जानकारी स्पष्ट हुई। पुलिस, प्रशासन, महिला बाल विकास एवं समिति की टीम द्वारा संयुक्त कार्यवाही करते हुये उक्त नाबालिग बालिका का विवाह होने से रोका गया एवं परिजनों को समझाइस दी गई की कि नाबालिग लडकी के बालिग होने के उपरान्त ही विवाह कराया जाये। परिजन सहमत हुए, 18 वर्ष की उम्र पूर्ण होने के पश्चात ही बालिका के विवाह हेतु निर्णय लिया गया।
उक्त कार्यवाही में एसडीओपी बिजावर शशांक जैन के मार्गदर्शन में महिला बाल विकास अधिकारी राजकुमार बागरी, थाना प्रभारी शाहगढ़ उप निरीक्षक अजय सिंह शाक्य, प्रधान आरक्षक राजन पांडे व आरक्षक उपेंद्र शुक्ला, आरक्षक लोकेंद्र सिंह लोधी की भूमिका रही।