कोशिकाओं को प्रभावकारी बनाने का एक मात्र मार्ग है कि पूरी निष्ठा के साथ गुरुदेव श्री शक्ति पुत्र महाराज ज़ी द्वारा निर्देशित मार्ग का अक्षरशः पालन करें: शिव बहादुर सिंह

डेस्क न्यूज। बहुत सारे लोग तमाम तरह के आडम्बर और ढोंग के चंगुल में इस तरह से फँसे हुये हैँ जिससे निकलना बड़ा मुश्किल कार्य है। दरअसल हमारी प्रवृत्ति है कि हम पौधों को बड़ा करने के लिये उसके जड़ में पानी नही देकर उसकी पत्तियों और शाखाओं में पानी देते हैँ।

उदाहरण स्वरूप किसी भी बच्चे को संस्कारवान तभी बना सकते हैँ जब उस बच्चे को शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ धर्म के मूलभूत सिद्धान्त भी समझाते रहें ,जिससे उस बालक को सत्य और असत्य के कार्योँ की पूरी जानकारी प्राप्त होती रहे। हम लाख कोशिश कर लें जब तक हम अपने आपको नकारात्मक कार्योँ से अलग नही करेंगे तब तक जीवन में उथल-पुथल मचा ही रहेगा। थोड़ा ध्यान से समझिये कि जब हम पिछले जन्मों के बुरे कार्योँ को लेकर जन्म लिये हैँ तो उनके दुष्परिणाम को हम ही तो भुगतेंगे । कोई दूसरा भोगने नही आयेगा। कई लोग आपको ये कहते नजर आयेंगे कि आज तक हमने किसी का बुरा नही किया फिर भी हमारे साथ बुरा क्यूँ हो रहा है। दरअसल हमारे प्रारब्ध को हमें भोगना पड़ता है। इस जन्म में ही हमें भोगना पड़ेगा।
अच्छे कार्योँ का परिणाम खुशहाली में और बुरे कार्योँ का परिणाम दुखों के रूप में हमें प्राप्त होता है। एक बड़ी दिलचस्प बात ये है कि हम ये सब जानते होते हैँ फिर भी हम बुरे कार्योँ में क्यूँ लिप्त होते हैँ। हमारे जन्म के जो बुरे ग्रह हमें मिले हैँ उनके कारण हम समस्या ग्रस्त रहते हैँ। आइये हम लोग उससे निजात प्राप्त करने का तरीका ढूंढने का प्रयास करते हैँ। सर्व प्रथम हमें अपनी कोशिकाओं को सकारात्मक बनाना होगा जिससे हमारे जीवन में सुख और शांति स्थापित हो सके।
आज की तारीख में कोशिकाओं को सकारात्मक बनाने के लिये आपको अपने आचरण में बदलाव लाना होगा। उल्टे कार्योँ से अपने आपको दूर रखना होगा। बहुत लोग ये भी बयानबाजी करते हैँ कि हमारे साथ ही क्यूँ बुरा होता है। ऐसे लोगों से मेरा निवेदन है कि एक बार बड़ी ईमानदारी से अपने द्वारा किये जा रहे कार्योँ की समीक्षा जरूर कीजिये। उसमें से विवादास्पद कार्योँ से दूरी बना लीजिए।
आपको अच्छा परिणाम मिलने लगेगा। अब हम असली मुद्दे की बात करते हैँ कि हम अपनी कोशिकाओं को सकारात्मक कैसे बनायें ,जिससे हमारा पूरा जीवन सुचारू रूप से चल सके। इसका एक ही उपाय है कि हम लोग प्रतिदिन गुरुदेव ज़ी द्वारा प्रतिपादित साधना क्रमों को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। जब हम लोग माँ जगदम्बे की साधना आराधना पूरे मनोयोग से करने लगेंगे तो हमारी कोशिकाएं हमें अच्छे परिणाम देने लगेंगी। हमारे जीवन में अनुकूलता का समावेश हो जाएगा।
यहाँ एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि हमारा मन बुरे कार्योँ में ज्यादा लगता है जबकि मन अच्छे कार्योँ में लगना चाहिये। कोशिकाओं को प्रभावकारी बनाने के लिये हमें गुरुदेव ज़ी की विचारधारा का पालन करना होगा। धीरे धीरे आप देखेंगे कि आपका जीवन प्रगति के पथ पर अग्रसित होने लगेगा। कुछ समय बात आप स्वयं महसूस करेंगे कि आपके जीवन में व्यापक परिवर्तन होने लगा है। महाआरती और शिविर में किसी भी परिस्थिति में उपस्थित होइये। हम इन बातों पर जरा भी विचार नही करते हैँ। दिन रात इसी उधेड़बुन में लगे रहते हैँ कि कैसे लोगों को बेवकूफ बनायें। जितना अधिक आप अपने आपको दुरुस्त करेंगे उतना अधिक आपका जीवन खुशियों से भर जाएगा। गुरुदेव ज़ी ने जनकल्याणकारी क्रम हम सभी को प्रदान किये हैँ ,उन्हें हम जानबूझ कर नजर अंदाज करते रहते हैँ।
माँ दुर्गा ज़ी की दिव्य आरती और श्री दुर्गा चालीसा पाठ में डूब जाइये। इन क्रमों में असीम ऊर्जा भरी हुई है। इसका लाभ उठाते रहिये।आज समाज में बड़े भारी तादात में लोग अच्छे कार्योँ से अनभिज्ञ हैँ। गुरुदेव ज़ी के सच्चे साधक होने के नाते हमें हर पल उन्हें जागरूक बनाना चाहिये। गुरुदेव ज़ी द्वारा निर्देशित छोटे छोटे क्रमों से लोगों को अवगत कराइये। जैसे जैसे लोगों को लाभ होने लगेगा आपको भी उसी अनुपात में लाभ प्राप्त होने लगेगा। हम सोचते बहुत हैँ ,बड़ी बड़ी बातें भी करते हैँ पर जब उन कार्योँ पर खरा उतरने की बारी आती है तो दिमाग का दुरुपयोग कर लेते हैँ। स्वच्छ मन से कार्य कीजिये ,माँ गुरुवर की कृपा अवश्य मिलेगी। हमें अपने जन्म के उद्देश्य को कभी भी भूलना नही चाहिये।