जीवन में सदैव प्रसन्न और खुशहाल रहने के लिए हम सभी को अध्यात्म के पथ पर अग्रसर होना ही पड़ेगा: शिव बहादुर सिंह
माँ की साधनाओं द्वारा सन्तुलित और व्यवस्थित जीवन जिया जा सकता है
डेस्क न्यूज। बड़ी अजीब विडम्बना है कि आज समाज के अधिकाँश मनुष्यों की मूल प्रवृत्ति सिर्फ भौतिक सुखों की प्राप्ति हो गयी है। अनेक लोग हमेशा कहते हैं कि हमारा मन तो पूजा पाठ करने को करता है परन्तु हमारे पास समय क़ा अभाव है। य़े हमारे जीवन की बहुत बड़ी न्यूनता है। जिनके कारण हम साँस ले पा रहे हैं और हमारे जीवन को जो संचालित कर रहीं हैं, उनके लिए हमारे पास समय नही है।
हमारे आंखों पर पड़ा हुआ पर्दा कब उठेगा। लोगों की सारी जिन्दगी बीत जाती है पर जीवन के सत्य से अनेक लोग वंचित रह जाते हैं। हम क्यूँ भूल जाते हैं कि जिस जीवन को पाने के लिए देवता भी तरसते हैं, हमें माँ दुर्गा जी ने वो जीवन सहज रूप में ही दे दिया है। सत्य को जानना होगा। असत्य से दूरी बनानी होगी। भोग-विलास क़ा जीवन त्यागकर अध्यात्म को स्वीकारना होगा।
जब तक हमारे अन्तःकरण की शुद्धि नही होगी तब तक हम अच्छा जीवन जी ही नही सकते हैं। सिर्फ बाहरी सुखों से सफलता नही प्राप्त होगा। समाज में बहुत सारे लोग पैसे-पैसे के लिए मोहताज हैं। इसके कारण आपराधिक जीवन जी रहे हैं। गुरुदेव श्री शक्ति पुत्र जी महाराज ने समाज को माँ दुर्गा जी की साधना प्रदान किया है, उसी साधना के द्वारा बड़ी से बड़ी मुश्किलों से निजात पाया जा सकता है। फिल्मी दुनियाँ को अनेक लोगों ने अपना आदर्श मान रखा है।
आप लोग पिछले कुछ महीनों से स्वयं देख रहे होंग़े कि भ्रष्टाचार क़ा सबसे बड़ा केंद्र फिल्म जगत ही है। धीरे-धीरे लोग विवेक शून्य होते जा रहे हैं। अपने बच्चों को प्रेरित कीजिए कि अच्छे सँस्कार अर्जित करें। धर्म और अध्यात्म में रुचि लेना प्रारम्भ करें।कुछ लोग ख़ुद तो शिविर और महा आरती में जाएँगे पर बच्चों को नही ले जाएँगे। य़े परिपाटी ही गलत है। शुरू से ही हम अच्छे सँस्कार नही दिलाएंगे तो हमारे बच्चे कैसे संस्कारवान बन पाएँगे।
आपने खूब पैसे कमा लिया और खूब संसाधन इकट्ठा कर लिया अगर आपकी औलाद ही गलत हो गयी तो क्या करेंगे ऐसे धन क़ा।प्रारम्भिक दौर से ही बच्चों कोअपने साथ-साथ हर कार्यक्रम में शामिल कीजिए।जीवन के संघर्षों से लड़ने की शक्ति माँ दुर्गा जी की साधना आराधना से ही मिल पाएगी। लाखों की सँख्या में लोग हैं जो हमको आपको दिन रात बरगला रहे हैं,पर ऐसे ढोंगी बाबाओं से हर समय सचेत रहिए। कोई भी इमारत जब भी बनती है तो उसकी मजबूती के लिए उसकी नींव को मजबूत बनाना होता है, अतः जब हम नशा मुक्त, माँसाहार मुक्त और चरित्र वान होंग़े तभी हमारा जीवन खुशहाल होगा।अपने जीवन की दिशा और दशा को ठीक रखना अपने स्वयं के ही हाँथ में होता है। गुरुदेव जी की विचारधारा को अपनाकर अपने जीवन को आनन्दित किया जा सकता है। समय की माँग है कि हम लोग सत्य को स्वीकार करें और सत्य क़ा जीवन जीना प्रारम्भ कर दें।
जै माता की जै गुरुवर की