आध्यात्मिक

सम्पूर्ण ब्रह्मांड के मालिक गुरुदेव श्री शक्ति पुत्र महाराज जी से जुड़कर भी हम लोग क्यूँ आपस में प्रेम पूर्वक व्यवहार नही करते हैं: शिव बहादुर सिंह

क्यूँ छल फरेब के चक्करों से बाहर नही निकल रहे हैँ। आखिर क्यूँ ?इस दिवाली पर एक बार जरूर गम्भीरता पूर्वक विचार कीजियेगा

डेस्क न्यूज। जब हम लोग माँ गुरुवर की नियमित साधना करते हैँ तो हमारे अन्दर से राग ,द्वेष ,अहंकार और छल -कपट का विनाश होने लगता है। आप माँ गुरुवर की साधना करते जाइये ,करते जाइये , कुछ समय बाद आप स्वयं में अनुभव करने लगेंगे की मैं अब पहले जैसा नही रहा।

आपके अन्दर, प्रेम ,दया ,करुणा ,वात्सल्य और परोपकारी प्रवृत्ति का प्रादुर्भाव होने लगेगा। अगर हमारे अन्दर प्रेम नही है ,दया नही है ,छल कपट अभी भी कूट-कूट कर भरा है तो आप साधना नही कर रहे हैँ। साधना रत व्यक्ति का जीवन ही औरों से अलग होता है। साधना करने वाले लोग दूसरों का दुःख देख ही नही सकते हैँ। दूसरों को कष्ट दे ही नही सकते हैँ। दूसरों की समस्या को इग्नोर कर ही नहीं सकते हैँ।

इस दीपावली पर शान्त होकर एकांत कमरे में बैठकर विचार कीजिये कि साधना में हमसे क्या चूक हो रही है। जिस दिन हम एकाग्र होकर साधना करने लगेंगे आप स्वयं देख लीजियेगा कि आप क्या बन गये? आपके अन्दर गजब का आत्म विश्वास उत्पन्न होने लगेगा। आप दिन रात गुरुदेव जी का आभार प्रकट करने लगेंगे।

आप गुरुदेव जी द्वारा निर्देशित साधना क्रमों को अच्छी तरह से करना प्रारम्भ तो कीजिये ,आप देखेंगे आपके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन होना शुरू हो जाएगा। हम लोग आज भी गम्भीर नही हो पा रहे हैँ। इस दीपावली पर्व पर कुछ परिवर्तन कीजिये। माँ गुरुवर की साधना करने वाले व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ना हो ,ऐसा असंभव है।

गुरुदेव जी द्वारा निर्देशित साध्नात्मक क्रमों में अपार ऊर्जा समाहित है। इस ऊर्जा का लाभ वही व्यक्ति प्राप्त कर सकता है जो व्यक्ति अन्दर और बाहर से ईमानदार होगा। अन्यथा आप सारी जिन्दगी ढकोसला कर लीजिये आपको कुछ भी हासिल नही होगा। साधना करने वाला व्यक्ति किसी से राग द्वेष नही रखेगा। किसी से दुश्मनी का भाव नही रखेगा।

साधना द्वारा जीवन में खुशियाँ प्राप्त की जा सकती है। जीवन में अगर शांति लाना चाहते हैँ तो रोज माँ गुरुवर की साधना कीजिये। इसके अतिरिक्त अन्य उपाय झूठे हैँ। साधना रत व्यक्ति को अपने जीवन का मूल उद्देश्य पता होता है। गरीबों के दर्द का ज्ञान होता है। मानवता की सेवा का ज्ञान होता है। सत्य और असत्य के भेद का ज्ञान होता है। साधना करने से आत्मा चैतन्य होती है। आत्मा पर पड़े हुये कालिख मिटने लगते हैँ। आत्मा प्रकाश देने लगती लगती है।

साधना करने वाले व्यक्ति का विवेक जागृत हो जाता है। साधना करने वाले व्यक्ति को अच्छे और बुरे का ज्ञान हो जाता है। साधना करने वाला व्यक्ति कभी किसी का धन हड़प नही सकता है।साधना करने वाला व्यक्ति दूसरों का सम्मान करता है। साधना करने वाला व्यक्ति किसी का दिल नही दुखा सकता है। किसी को धोखा भी नही दे सकता है। अतः माँ गुरुवर की साधना आजीवन कीजिये और अपने जीवन को खुशहाल बनाइये। माँ गुरुवर की साधना में एक बार डूबकर देखिये तो सही ,आपको जीवन में आनन्द की अनुभूति होने लगेगा।

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